उत्तराखंड में पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार अब पर्यटन सुविधाओं के विकास और विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसमें स्थानीय समुदाय को समानुपाती लाभ प्रदान करने के साथ ही पर्यटन गतिविधियों में उसकी सक्रिय भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए वित्तीय प्रोत्साहन की परिकल्पना भी की गई है, जो अब राज्य के स्थायी निवासियों के लिए लागू की गई उत्तराखंड पर्यटन उद्यमी प्रोत्साहन योजना के माध्यम से फलीभूत होने जा रही है। अब राज्य में पर्यटन के क्षेत्र में होम स्टे समेत पर्यटन से जुड़े छोटे उद्यम तेजी से आकार लेंगे। एक से पांच करोड़ तक के इन प्रोजेक्ट पर 33 लाख से लेकर डेढ़ करोड़ रुपये तक के अनुदान का प्रविधान रखा गया है। पर्यटन के दृष्टिगत विश्वस्तरीय अवसंरचना सुविधाओं के विकास एवं पूंजी निवेश को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से राज्य में पर्यटन नीति लागू है। इसके तहत उच्च श्रेणी के हास्पिटेलिटी प्रोजेक्ट को आकर्षित करने के लिए निवेश की न्यूनतम सीमा पांच करोड़ रुपये रखी गई है।
सरकार की मंशा यह है कि इसके माध्यम से देश-विदेश से अधिकाधिक निवेश राज्य में खींचा जाए। इस नीति में छोटे व मझोले स्थानीय निवेशक और व्यवसायी लाभ नहीं उठा पा रहे थे। यद्यपि, स्वरोजगार व उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए वीर चंद्रसिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना चल रही है, लेकिन इसमें अधिकतम एक करोड़ तक के ही प्रोजेक्ट लिए जा सकते हैं। इस सबके मद्देनजर ही धामी कैबिनेट ने राज्य के स्थायी निवासी उद्यमियों के लिए पर्यटन के क्षेत्र में एक से पांच करोड़ तक के निवेश को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड पर्यटन उद्यमी प्रोत्साहन योजना शुरू करने का निर्णय लिया। अब शासन ने इसे लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी है। साथ ही योजना में वित्तीय प्रोत्साहन के लिए राज्य को तीन श्रेणियों में विभक्त किया गया है। इसके अलावा गतिविधियां भी चिह्नित कर दी गई हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि इससे राज्य के स्थायी निवासियों के लिए रोजगार, स्वरोजगार के अधिक अवसर सृजित हो सकेंगे।
योजना में क्षेत्रों का श्रेणीकरण
श्रेणी-ए :- हरिद्वार, नैनीताल व ऊधम सिंह नगर जिलों का संपूर्ण क्षेत्र, देहरादून जिले के ऐसे क्षेत्र जो श्रेणी बी में सम्मिलित नहीं हैं और अल्मोड़ा जिले की रानीखेत व अल्मोड़ा तहसील।
श्रेणी-बी :- अल्मोड़ा जिले का शेष क्षेत्र (जो श्रेणी-एक में सम्मिलित नहीं है), देहरादून जिले की कालसी, चकराता व त्यूणी तहसील, बागेश्वर जिले की गरुड़ तहसील, पौड़ी की कोटद्वार, लैंसडौन, यमकेश्वर व धुमाकोट तहसील, टिहरी जिले की धनोल्टी व नरेंद्रनगर तहसील।
श्रेणी-सी :- उत्तरकाशी, चमोली, चंपावत, रुद्रप्रयाग व पिथौरागढ़ जिलों का संपूर्ण क्षेत्र, बागेश्वर, पौड़ी व टिहरी जिलों का शेष क्षेत्र, जो श्रेणी-बी में सम्मिलित नहीं है।
इन गतिविधियों में वित्तीय प्रोत्साहन
सांस्कृतिक व ऐतिहासिक धरोहर-विरासत के अनुरक्षण संबंधी कार्य, पर्यटन स्थलों में पार्किंग, रज्ज्मार्ग, विद्यमान होटल व रिजार्ट का विस्तार, फ्लोटल्स व फ्लोटिंग रिजार्ट, हेरिटेज होटल व इकाइयां, होटल व मोटल, स्पा एवं स्वास्थ्य रिजार्ट, पर्यटक रिजार्ट व पर्यटक ग्राम, कू्रज बोट, नौका, हाउसबोट व बोट क्लब, ईको लांज व आवासीय टेंट, राष्ट्रीय व राज्य मार्गों पर गैर ईंधन मार्गीय सुविधा, सम्मेलन केंद्र, पर्यटन या आतिथ्य प्रशिक्षण केंद्र, योग, आयुर्वे व प्राकृतिक चिकित्सा रिजार्ट, कला दीर्घा, मनोरंजन पार्क आदि।
ये मिलेंगी रियायत
एक से पांच करोड़ तक के प्रोजेक्ट पर स्टांप डयूटी से छूट।
श्रेणी-ए के क्षेत्र में 33 लाख से 80 लाख तक का अनुदान।
श्रेणी-बी में 33 लाख से 1.20 करोड़ होगी अनुदान राशि।
श्रेणी-सी में 33 लाख से 1.50 करोड़ तक का अनुदान।
योजना में तीन साल तक प्रति इकाई तीन से छह प्रतिशत तक ब्याज अनुदान।
होम स्टे में रुचि लेंगे स्थानीय लोग
राज्य में होम स्टे में लोग अब अधिक रुचि लेंगे। वर्ष 2015-16 से अभी तक 5468 होम स्टे पंजीकृत हुए हैं। माना जा रहा है कि पर्यटन उद्यमी प्रोत्साहन योजना के बाद होम स्टे के निर्माण में ज्यादा तेजी आएगी और इससे रिवर्स पलायन में भी मदद मिलेगी।
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